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जन्म के समय ब्रेन इंजरी का खतरा होगा खत्म, लॉन्च हुआ पायलट प्रोजेक्ट

इंग्लैंड में नवजात शिशुओं के जन्म के दौरान मस्तिष्क की चोटों को रोकने के उद्देश्य से एक नई पायलट योजना शुरू की गई है। इस पायलट प्रोजेक्ट का लक्ष्य है कि डिलीवरी के समय नवजात शिशुओं को सिर और मस्तिष्क में होने वाली चोटों से बचाया जा सके। यह कार्यक्रम, विशेष रूप से, महिलाओं और शिशुओं के प्रसूति देखभाल में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इंग्लैंड के नौ प्रमुख मेटरनिटी यूनिट्स इस पायलट प्रोजेक्ट में भाग ले रही हैं, जो जन्म के समय बच्चों में मस्तिष्क की चोटों की दर को कम करने में मदद करेंगी।

मस्तिष्क की चोट और इसके आंकड़े

ब्रेन इंजरी, नवजात शिशुओं के लिए एक गंभीर समस्या है, जो अक्सर जन्म के दौरान या तुरंत बाद हो सकती है। 2021 में, लगभग 2,490 शिशुओं को मस्तिष्क की चोट का सामना करना पड़ा, जो प्रसव के दौरान या उसके तुरंत बाद रिपोर्ट की गई थी। ऐसी चोटें शिशुओं के विकास और जीवन पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती हैं, इसलिए इसका समाधान अत्यंत आवश्यक है।

प्रसव के दौरान शिशु के सिर में चोट का खतरा

सामान्य प्रसव के दौरान शिशु का सिर मां के पेल्विस (कूल्हे की हड्डी) में फंस सकता है, जिससे मस्तिष्क में चोट लगने का खतरा रहता है। विशेषकर सिजेरियन डिलीवरी के समय, यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। इस पायलट प्रोग्राम के तहत, स्वास्थ्यकर्मियों को यह पहचानने में मदद मिलेगी कि प्रसव के दौरान शिशु को किसी तरह की कठिनाई हो रही है या नहीं, और वे इस स्थिति से कैसे निपटें। इसके साथ ही, स्वास्थ्यकर्मियों को ऐसे आपातकालीन परिस्थितियों में जल्दी और सुरक्षित निर्णय लेने में भी मदद मिलेगी, जिससे नवजात शिशुओं को गंभीर चोटों से बचाया जा सके।

छह प्रमुख अस्पतालों का भागीदारी

इस पायलट योजना के तहत इंग्लैंड के उत्तर-पश्चिम में छह प्रमुख अस्पतालों को चुना गया है, जहां यह तकनीक प्रयोग की जा रही है। इनमें काउंटेस ऑफ चेस्टर हॉस्पिटल एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट, ईस्ट लंकाशायर हॉस्पिटल्स एनएचएस ट्रस्ट, लिवरपूल विमेंस एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट आदि शामिल हैं। ये सभी अस्पताल सिजेरियन जन्म के समय शिशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञों की सहायता से काम करेंगे।

इसके अतिरिक्त, भ्रूण की गिरावट का पता लगाने के लिए क्रॉयडन हेल्थ सर्विसेज एनएचएस ट्रस्ट और एप्सम और सेंट हेलियर यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स एनएचएस ट्रस्ट जैसी अन्य मेटरनिटी इकाइयों को भी इस पायलट योजना में शामिल किया गया है। यह पायलट भ्रूण की स्थिति की निगरानी करने और किसी भी आपात स्थिति से निपटने में मदद करेगा।

रोगी सुरक्षा और देखभाल में सुधार

यदि यह पायलट योजना सफल होती है, तो इसे अगले साल राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सकता है। इस योजना का उद्देश्य शिशुओं में मस्तिष्क की चोटों को रोकने के साथ-साथ सभी महिलाओं और शिशुओं को सुरक्षित, व्यक्तिगत और सम्मानजनक देखभाल प्रदान करना है। रोगी सुरक्षा, महिला स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य मंत्री बैरोनेस गिलियन मेरॉन ने इसे शिशुओं में रोके जा सकने वाली मस्तिष्क चोटों से बचने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

उन्होंने कहा कि यह योजना महिलाओं और शिशुओं की देखभाल में सुधार करने के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मियों को बेहतर निर्णय लेने और आपात स्थितियों से निपटने में सक्षम बनाएगी। इसका उद्देश्य शिशुओं को जन्म के समय होने वाली मस्तिष्क की चोटों से बचाकर उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित जीवन प्रदान करना है।

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Sai Ram

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